“चिंता और तनाव कम करने के सरल उपाय”

“चिंता और तनाव कम करने के  सरल उपाय”:

भाग दौड़ भरी जिंदगी में चिंता और तनाव होना आम बात है

लेकिन अगर यही चिंता और तनाव आपके मन में घर कर जाए आपके शारीरिक स्वास्थ्य के साथ-साथ मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी खतरनाक साबित हो सकती है।

चिंता के कुछ मुख्य लक्षण है जैसे की घबराहट होना,नींद ना आना, शारीरिक कमजोरी महसूस करना,पसीना आना, दिल का तेजी से धड़कना आदि।

चिंता से होने वाले रोग:

अधिक चिंता और तनाव करने से हमारा स्वास्थ्य प्रभावित होता है।

इससे हमारे शरीर में आने को रोग भी उत्पन्न हो सकते हैं।

अधिक चिंता करने से, ब्लड प्रेशर अधिक या काम होना, पसीना आना, दिल तेजी से धड़कना आदि समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।

ता और तनाव कम करने के लिए 5 सरल उपाय
ता और तनाव कम करने के लिए 5 सरल उपाय

चिंता को कम करने के बहुत से उपाय हैं। आईए जानते हैं:

1. नियमित व्यायाम:

आपके आत्मविश्वास को बढ़ाने के लिए और मूड को बेहतर बनाने के लिए नियमित रूप से व्यायाम करना चाहिए।

इसे आप आराम करने में मदद मिलती है।

व्यायाम सबको अच्छी नींद आएगी और शारीरिक मानसिक शांति का अनुभव होगा।

2. संगीत सुनना:

जब तनावपूर्ण महसूस करें या सोते समय कुछ समय के लिए संगीत अवश्य सुनें।

अपना पसंदीदा संगीत सुनने से आपको काफी आराम मिलेगा और आप सकारात्मक महसूस करेंगे।

3. दोस्तों से जुड़े रहें:

कुछ-कुछ समय में अपने दोस्तों से मिलते रहना चाहिए उनके साथ बातचीत करते रहो अपनी भावनाओं को अपने दोस्तों के साथ व्यक्त करें ऐसा करने से कुछ भी ऐसी बातें जो आपको इतना तनावपूर्ण महसूस करवाती हैं वो व्यक्त हो जाती है और आप हलका महसूस करते हैं।

ता और तनाव कम करने के लिए 5 सरल उपाय
ता और तनाव कम करने के लिए 5 सरल उपाय

4. भावनाओं को व्यक्त करना:

अपने परिवार और अपने दोस्तों के साथ अपनी भावनाओं को व्यक्त करना चाहिए।

उनको बताएं कि आप कैसा महसूस कर रहे हैं।

अगर यह भी संभव नहीं है तो आप डायरी में अपने मन की बातें लिख सकते हैं।

5. ओवरथिंकिंग से बचें:

जब आप एक ही घटनाएं बात के बारे में बार-बार सोचते हैं तो आपको अधिक चिंता या तनाव होता है

आवश्यक है की ओवर थिंकिंग करने से बच्चे और अपना ध्यान हटाकर किसी अच्छी चीज की और जैसे कि आप किसी अच्छे घटना के बारे में सोच सकते हैं ।

अपनी हॉबी के अनुसार कोई कार्य कर सकते हैं जैसे की पेंटिंग बनाना है खेलना है संगीत सुनना परिवार के साथ समय बिताना आदि।

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“नारियल पानी से मनोवैज्ञानिक लाभ”

“नारियल पानी से मनोवैज्ञानिक लाभ”:

नारियल पानी से मनोवैज्ञानिक लाभ, नारियल पानी तुरंत ऊर्जा प्रदान करने वाला पेय पदार्थ है जो सबको पसंद आता है।

गर्मियों के मौसम में शरीर में पानी की कमी होना एक आम बात है लेकिन शरीर में बार-बार पानी पानी की कमी से शरीर में कमजोरी आने लग जाती है।

साथ ही पेशाब में इन्फेक्शन जैसा खतरा भी बढ़ जाता है।

इसीलिए गर्मी के मौसम में नारियल पानी एक रामबाण इलाज है।

नारियल पानी से मनोवैज्ञानिक लाभ
नारियल पानी से मनोवैज्ञानिक लाभ

 

इसका स्वाद हलका मीठा और अखरोट जैसा होता है।
आयुर्वेद की माने तो नारियल पानी अनेक खनिजों और इलेक्ट्रोलाइट्स जैसे अमीनो एसिड, पोटेशियम, कैल्शियम,एंटीऑक्सिडेंट, मैंगनीज और साइटोकाइनिन से भरपूर होता है।
कोल्ड ड्रिंक के जमाने में भी नारियल पानी सबको पसंद आने वाला ड्रिंक है।

जो न केवल स्वाद में अच्छा है बल्कि उससे कहीं ज्यादा उसके फायदे भी हैं:

हेल्दी हार्ट:

हाई ब्लड प्रेशर को रोकने में नारियल पानी काफी मददगार है और हृदय रोगों को कम करता है।

इससे हमारा दिल स्वस्थ और तंदुरुस्त रहता है।

शरीर को रखें एनर्जेटिक:

नारियल का पानी पीने से थकान दूर होती है शारीरिक और मानसिक ऊर्जा बढ़ती है।

नारियल पानी में विटामिन्स, मिनरल्स, और इलेक्ट्रोलाइट्स पाए जाते हैं, जो शरीर को एनर्जेटिक रखने में मददगार होते हैं।

इसमें भरपूर मात्रा में इलेक्ट्रोलाइट्स पाए जाते हैं, जो ऊर्जावान रखने के साथ साथ शरीर को हाइड्रेट भी रखते हैं।

पुरुषों के लिए फायदेमंद:

नारियल पानी पीने से पुरुषों को लिबिडो बढ़ाने में मदद मिल सकती है।

नारियल पानी स्पर्म अकाउंट बढ़ाने में मदद करता है जिससे प्रजनन क्षमता बढ़ती है।

गर्भावस्था में लाभ:

गर्भावस्था के दौरान समस्याओं का सामना करना पड़ता है जैसे की ब्लड प्रेशर, पानी की कमी, उल्टी आना, सुबह-सुबह की थकान आदि। और गर्भावस्था में डॉक्टर मुख्यतः नारियल पानी पीने की सलाह देते हैं जिससे इन सभी समस्याओं से लड़ने की क्षमता मिलती है।

नारियल पानी से मनोवैज्ञानिक लाभ
नारियल पानी से मनोवैज्ञानिक लाभ

त्वचा और बालों के लिए फायदे:

नारियल पानी एंटीऑक्सीडेंट और विटामिन से भरपूर होता है।

जो हमारी त्वचा को हाइड्रेट रखता है।

इसमें एंटी एजिंग प्रॉपर्टी होती है जो बढ़ती उम्र के लक्षणों को कम करता है।

यह हमारे स्कैल्प को पोषण देता है और बालों को बढ़ाने में सहायक है। साथ ही  बालों को झड़ने से भी रोकता है।

डायबिटीज में फायदेमंद:

इंसुलिन की कमी की वजह से डायबिटीज जैसी समस्या उत्पन्न होती हैं।

और नारियल का पानी हमारे शरीर में इंसुलिन की कमी को दूर करता है।

इसीलिए नारियल का पानी डायबिटीज के मरीज के लिए बहुत अच्छा माना जाता है।

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“स्मार्टफोन का वायरल खतरा: स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव”

स्मार्टफोन का वायरल खतरा: स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव:
पहले के समय में रोटी कपड़ा और मकान को ही जीवन का आधार माना जाता था
लेकिन आज इसमें एक और वास्तु शामिल हो गई है और वह है मोबाइल।
छोटे बच्चों से लेकर बुजुर्ग तक हर कोई मोबाइल का आदी है।
मोबाइल फोन आज के समय में जरूरत के साथ-साथ हमारी आदत बन गया है सिर्फ हमारे समय का दुरुपयोग है
बल्कि हमारी सेहत के लिए भी बहुत तो हानिकारक है।
स्मार्टफोन से निकलने वाली रेडिएशन सीधा हमारे स्वास्थ्य को प्रभावित करती है।
जब हम मोबाइल फोन का उपयोग करते हैं,
उनसे एक विशेष प्रकार की तरंगें निकलती है जिनको इलेक्ट्रोमैग्नेटिक रेडिएशन कहते हैं।
इनसे निकलने वाली रेडिएशन से अल्जाइमर कैंसर हार्ट डिजीज और ऑर्थराइटिस जैसी बीमारियां होती हैं।
स्मार्टफोन का वायरल खतरा स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव
स्मार्टफोन का वायरल खतरा स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव

 

मोबाइल के दुष्प्रभाव:

आईए जानते हैं की मोबाइल फोन से हमारे स्वास्थ्य पर क्या क्या दुष्प्रभाव पढ़ते हैं:
1. गर्भावस्था के लिए खतरा:
गर्भावस्था के दौरान मोबाइल का अधिक उपयोग महिला और उसके पेट में पल रहे बच्चे,दोनों के लिए घातक साबित हो सकता है।
प्रेगनेंसी में अधिक मोबाइल इस्तेमाल करने से बच्चे की ब्रेन डेवलपमेंट अच्छे से नहीं होती है।
इससे प्रीमेच्योर डिलीवरी होने का खतरा बढ़ जाता है।
2. बच्चों पर पढ़ने वाले दुष्प्रभाव:
आजकल हम देखते हैं कि हर बच्चा मोबाइल का आदी हो गया है।
बच्चे बाहर खेलने की वजह मोबाइल में वीडियो देखना है गेम्स इतना ज्यादा पसंद करते हैं।
लेकिन यह उनके लिए सबसे बड़ा खतरा है।
अधिक मोबाइल इस्तेमाल करने से ब्रेन ट्यूमर जैसे गंभीर बीमारियां हो सकती हैं।
साथ ही साथ अधिक मोबाइल इस्तेमाल करने से आज छोटे-छोटे बच्चों को चश्मा लग जाता है।
स्मार्टफोन का वायरल खतरा स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव
स्मार्टफोन का वायरल खतरा स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव
मोबाइल की रेडिएशन से बच्चों के दिमागी विकास के साथ-साथ शारीरिक विकास भी पूरी तरह से नहीं हो पता है।
मोबाइल की रेडिएशन की वजह से बच्चों को न्यूरोलॉजिलक डिसऑर्डर होने का खतरा रहता है।
इस तरह के डिसऑर्डर से आपके बच्चे के चलने, सांस लेने के तरीके, किसी नए काम को सीखने की क्षमता पर असर पड़ सकता है।
3. डिप्रेशन की समस्या:
अधिक मोबाइल इस्तेमाल करने से न सिर्फ बच्चे बल्कि बड़ों की भी मेंटल हेल्थ पर असर पड़ता है।
मोबाइल से निकलने वाली रोशनी आपके हार्मोंस और नींद पर प्रभाव डालती है जिससे आपकी मेंटल हेल्थ खराब हो सकती है।

20-20-20 का नियम:

आईक्यू हॉस्पिटल हिसार कंसल्टेंट का कहना है की मोबाइल फोन इस्तेमाल करते समय हमें 20-20-20 के नियम का उपयोग करना चाहिए।
जब भी आप लंबे वक्त तक स्क्रीन पर काम करें तो बीच बीच में ब्रेक लेते रहें।
इसके अलावा 20-20-20 रूल को फॉलो करना चाहिए. इस रूल में जब भी आप 20 मिनट तक स्क्रीन को लगातार देखते हैं
तो आपको 20 मिनट बाद में आंख को ब्रैक देना चाहिए।
इसके लिए आप 20 मिनट तक स्क्रीन देखने के बाद 20 फीट दूर तक देखें और 20 सेकेंड का ब्रेक लें।

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“मिट्टी के बर्तनों में छुपी हैं सेहतमंद रहस्य”

“मिट्टी के बर्तनों में छुपी हैं सेहतमंद रहस्य”:

मिट्टी के बर्तनों में छुपी हैं सेहतमंद रहस्य, हमारे भारतीय खाना बनाने के पारंपरिक वह ऐतिहासिक तरीका बिल्कुल हीरे की खदान जैसे है जो हमारे शरीर-स्वास्थ्य को चमकदार  रखते हैं।

भारत में ही नहीं बल्कि पूरे संसार में मिट्टी के बर्तन हमारे प्रकृति की सबसे बेहतरीन देन है।

पुराने समय में खाना बनाने से लेकर खाना स्टोर करने के लिए भी मिट्टी के बर्तनों का ही उपयोग किया जाता था।

इसका कारण धातु से बने बर्तनों की कमी थी लेकिन इसका सबसे महत्वपूर्ण कारण यह था की मिट्टी के बर्तन में भोजन बनाने से हमारे स्वास्थ्य को बहुत लाभ होते हैं।

ऐसे बना भोजन अन्य किसी बर्तन में बने भोजन से ज्यादा पौष्टिक होता है और इसका कारण यह है की मिट्टी के बर्तन में फॉस्फोरस पोटेशियम आयरन जिंक मैग्नीशियम कैल्शियम सल्फर आदि तत्व होते हैं जो भोजन के द्वारा हमें फायदा पहुंचाते हैं।

और इसे वैज्ञानिक रूप से भी साबित किया गया है।

न्यूट्रीशनल अमिता गदरे की माने तो मिट्टी के बर्तनों का इस्तेमाल दोबारा से शुरू कर देना चाहिए।

क्योंकि इन बर्तनों में रासायनिक एंटीमाइक्रोबियल गुण होते हैं जो खाद्य पदार्थों को सुरक्षित रखने में मदद करते हैं।

इसके अलावा, मिट्टी के बर्तन में खाद्य का स्वाद भी अधिक बेहतर होता है और खाद्य के पोषण को बनाए रखता है।

हम सब जानते हैं की मिट्टी के मटके का पानी सेहत के लिए कितना फायदेमंद होता है।

मटके में कुलिंग प्रॉपर्टीज होती है।

इसमें अनेक पोषक तत्वों की गुणवत्ता पाई जाती है जो हमारे शरीर की इनको मेंटेन करके रखता है ओर साथ ही साथ ये ऑर्गेनिक भी है।

मिट्टी के बर्तनों में छुपी हैं सेहतमंद रहस्य
मिट्टी के बर्तनों में छुपी हैं सेहतमंद रहस्य
सेहत के लिए फायदे:

मिट्टी के बर्तन में खाना बनाना हमारी सेहत के लिए बहुत फायदेमंद है:-

1. भोजन का पीएच संतुलन बना रहता है:

इसमें अल्कलाइन गुण होते हैं जो भोजन के साथ क्रिया होने से भोजन का पीएच संतुलन बनता है।

अगर एसिडिक भोजन भी मिट्टी के बर्तन में बनाते हैं तो वह प्राकृतिक मिठास ले लेते हैं।


2. भोजन में पूरा पोषण बनाए रखे:

इनमें में खाना पकाने के दौरान एवोपोरेट होने वाली सभी स्टीम और वेपर को बनाए रखने का गुण होता है।

जो भोजन का प्राकृतिक गुण बरकरार रखते हैं।

मिट्टी के बर्तन में अधिक तेल या पानी का इस्तेमाल करने की भी आवश्यकता नहीं होती है।

ठीक है बर्तन में भोजन धीरे-धीरे पकता है जैसे कि भोजन में मौजूद सारे तत्व बरकरार रहते हैं।

इससे कब्ज अपच और गैस जैसी समस्याओं का सामना नहीं करना पड़ता।

मिट्टी के बर्तनों में छुपी हैं सेहतमंद रहस्य
मिट्टी के बर्तनों में छुपी हैं सेहतमंद रहस्य
3.खाद्य सुरक्षा:

कले पाॅट यानी किमिट्टी के बर्तन में खाद्य पकाने पर बर्तन के अंदर से भोजन में प्राकृतिक मिनरल्स और खनिज पदार्थों का संयोजन होता है।

ये अद्भुत रसायन रासायनिक गुण और स्वाद को बनाए रखने में मदद करते हैं और भोजन को स्वास्थ्यप्रद बनाते हैं।

4.कम तेल का इस्तेमाल:

इसमें नॉनस्टिक गुण होते हैं जिससे हम फैट फ्री भोजन बना सकते हैं।

जिसे भोजन बनाने में कम तेल का इस्तेमाल हो सकता है और हमें कोलेस्ट्रॉल जैसी समस्याओं का सामना नहीं करना पड़ता। यह गुण खाद्य पदार्थों में मौजूद प्राकृतिक नमी और प्राकृतिक तेल को बनाए रखने में मदद करता है, जिससे यह आपके दिल के लिए बेहतर बनता है।

हृदय के मरीजों को खासकर मिट्टी के बर्तन में बने खाने का सेवन करना चाहिए।

5.पोषक तत्वों का संरक्षण:

इनमें बने खाद्य पदार्थों में पोषक तत्वों का संरक्षण होता है जैसे कि लाभकारी मिनरल्स और विटामिन्स।

इन पदार्थों को खोने से रोकने के लिए, ये बर्तन बहुत ही उपयुक्त होते हैं।

6. प्राकृतिकता और शुद्धता:

मिट्टी के बर्तन प्राकृतिक रूप से पूरी तरह से शुद्ध होते हैं।

इनका उपयोग करने से खाद्य पदार्थों में किसी प्रकार का रासायनिक या सांस्कृतिक संयोजन नहीं होता है, जिससे वे स्वास्थ्यप्रद बनते हैं।

7. वैज्ञानिक गुण:

वैज्ञानिक  रूप से देखा जाए, मिट्टी के बर्तनों के कई गुण हैं जो स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद साबित हुए हैं।

इन बर्तनों में रासायनिक एंटीमाइक्रोबियल गुण होते हैं जो खाद्य पदार्थों को सुरक्षित रखने में मदद करते हैं।

इसके अलावा, मिट्टी के बर्तन में खाद्य का स्वाद भी अधिक बेहतर होता है और खाद्य के पोषण को बनाए रखता है।

 

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“आगे बढ़ने का सही रास्ता: पॉजिटिव सोच की शक्ति”

“आगे बढ़ने का सही रास्ता: पॉजिटिव सोच की शक्ति”- आगे बढ़ने का सही रास्ता: पॉजिटिव सोच की शक्ति, आज के काम भरे जीवन में एक व्यक्ति को सबसे आवश्यक है पॉजिटिव रहना और अपने चारों तरफ सकारात्मक वातावरण का निर्माण करना।

पॉजिटिव सोच का मतलब है कि सब कुछ अच्छे और सकारात्मक दृष्टिकोण से देखना।

अगर हम जीवन में पॉजिटिव दृष्टिकोण रखते हैं तो उसे हमारी मानसिक स्थिति में तो सुधार होता ही है साथ ही साथ हमारे शारीरिक रूप से भी बदलाव देखने को मिलते हैं।

लेकिन क्या आप जानते हैं की पॉजिटिव लाइफस्टाइल में क्या-क्या चीज शामिल होती हैं?

आप सकारात्मक रूप से जीवन की रही है या नहीं? इसे पता करने का बहुत ही आसान तरीका है।

आपको सिर्फ कुछ सवाल है जो अपने आप से पूछने हैं और अगर उसका जवाब हां में है तो आप एक पॉजिटिव लाइफस्टाइल का हिस्सा है और अगर नहीं तो आपको इनका जवाब हमें बदलने की आवश्यकता है।

वह सवाल है-

1. क्या आप बात बात पर जुड़ते हैं?

2. क्या आप सही समय पर मेडिटेशन या कसरत करते हैं?

3. क्या आपका वजन आपके शरीर के हिसाब से सही है?

4.क्या आपका खाने खाने का समय निर्धारित है?

5.क्या आपका सोने और उठने का समय निर्धारित है?

6.क्या आप हेल्दी फूड खाते हैं?

7. क्या आप तनाव मुक्त जीवन जीते हैं?

आगे बढ़ने का सही रास्ता: पॉजिटिव सोच की शक्ति
आगे बढ़ने का सही रास्ता: पॉजिटिव सोच की शक्ति

अगर इनमें से किसी भी सवाल का जवाब नहीं है तो तुरंत आपको अपने दिनचर्या में बदलाव करने की आवश्यकता है क्योंकि पॉजिटिव रहना हमारे लिए केवल मानसिक रूप से ही जरूरी नहीं है बल्कि शारीरिक रूप से भी बहुत आवश्यक है।

तो आईए जानते हैं कि सकारात्मक जीवन जीने के लिए हमें किन-किन विषयों पर ध्यान देने की आवश्यकता है।
1. संतुलित आहार- सबसे पहले आपको आपके भोजन पर ध्यान देने की आवश्यकता है।

कहीं अब ज्यादा जंक फूड यानी कि बाहर का खाना तो नहीं खाते?

ज्यादा से ज्यादा हरी सब्जियों और फलों का सेवन करना चाहिए।

इसके साथ ही यह भी जरूरी है कि आप सुबह-सुबह हेल्दी नाश्ता करें।

हेल्दी नाश्ता आपके पूरे दिन के की ऊर्जा का मुख्य स्रोत होता है।
2. सोने और उठने का समय- कहीं ऐसा तो नहीं है कि आप रात को बहुत देर तक जाते हैं और सुबह भी बहुत देर से ही उठते हैं।

आपको आपके जीवन में सोने और उठने का समय निर्धारित करने की आवश्यकता है।

साथ ही नींद का भी पूरी होना बहुत आवश्यक है।
3. योगा करना- आप सुबह जल्दी उठकर थोड़ा सा समय योग या एक्सरसाइज को जरूर दें।

इसके साथ-साथ ही आप पार्क में या खुली हवा में टहल सकते हैं। सुबह की खुली और ताजा हवा आपको मानसिक शांति पहुंचने में बहुत लाभदायक है। जिसे आप पॉजिटिव महसूस करेंगे।
4. परिवार और दोस्तों के साथ समय बिताना- आज के समय में युवा मोबाइल में ज्यादा व्यस्त रहता है।

आगे बढ़ने का सही रास्ता: पॉजिटिव सोच की शक्ति
आगे बढ़ने का सही रास्ता: पॉजिटिव सोच की शक्ति

एसएमएस वह भूल जाता है की परिवार और दोस्त कितने आवश्यक हैं। इसलिए अपने व्यस्त दिन से दिन में से थोड़ा सा समय अपने परिवार के लिए आवश्यक निकाले। उनके साथ बातचीत करें। इसे आपको भी अच्छा लगे और साथ में आपके परिवार को भी खुशी होगी वह भी पॉजिटिव महसूस करेंगे।

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“खजूर से होने वाले मानसिकऔर शारीरिक फायदे”

“खजूर से होने वाले मानसिक और शारीरिक फायदे”:- खजूर से होने वाले मानसिक और शारीरिक अनेकों फायदे है। खजूर एक एंटी आक्सीडेंट फल है जो हमारे पाचन तंत्र को मजबूत बनाने के साथ-साथ दिल को भी स्वस्थ रखता है। इसके अनेक आयुर्वेदिक लाभ है। खजूर में विभिन्न प्रकार के पोषक तत्व पाए जाते हैं।जिनमें से मुख्यतः फाइबर, … Read more

जलवायु परिवर्तन का खतरनाक परिणाम

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“गोंद कतीरा के फायदे: प्राकृतिक तरीके की चिकित्सा”

“गोंद कतीरा के फायदे: प्राकृतिक तरीके की चिकित्सा”-   गोंद कतीरा के फायदे: प्राकृतिक तरीके की चिकित्सा- गोंद कतीरा हमारे लिए एक तरह से प्राथमिक चिकित्सा के रूप में काम करता है। यह हमारे शरीर को अनेकों बीमारियों से लड़ने में सहायता करता है और इसके साथ ही गर्मी में भी राहत दिलाता है। गोंद कतीरा … Read more

“दोपहर की नींद की आदत: कितनी सही, कितनी गलत?”

“दोपहर की नींद की आदत: कितनी सही, कितनी गलत?” 

“दोपहर की नींद की आदत: कितनी सही, कितनी गलत?” हमारे दोपहर की नींद की आदत कितनी सही है कितनी गलत है आज हम इसके बारे में बात करेंगे….. क्या दोपहर को नींद आना हमारे किसी बड़ी बीमारी की निशानी तो नहीं है?

ये हम नहीं कहते बल्कि यह वैज्ञानिक तौर पर साबित किया गया।

दोपहर की नींद की आदत कितनी सही है कितनी गलत है
दोपहर की नींद की आदत कितनी सही है कितनी गलत है
एक CEO जो कम नींद लेने की वजह से मर गया-

आज हम बात करेंगे एक आईटी कंपनी के CEO रंजन दास की।रंजन दास आईटी कंपनी SAP के CEO थे।

जो महज़ 42 साल की उम्र में हार्ट अटैक की वजह से मर जाते हैं और उसका मुख्य कारण था कि उन्होंने वह कभी अपनी नींद पूरी नहीं करते थे।
रंजन दास एक एथलीट थे। जो अपनी सेहत को लेकर काफी गंभीर रहते थे।

रंजन दास ने मैराथन में भी हिस्सा लिया था। वह हर रोज जिम में पसीना बहाते, एक्सरसाइज करते सुबह की वॉक किया करते थे और सबसे जरूरी हमेशा हेल्थी खाना ही खाते थे।

लेकिन लेकिन 21 अक्टूबर 2009 को जब वह जिम से अपने घर वापस आ रहे थे उसे समय दिल का दौरा पड़ने से उनकी मौत हो गई।

इतना स्वस्थ इंसान जो जो दिल को स्वस्थ रखने के लिए इतनी एक्सरसाइज करता था उसे दिल का दौरा कैसे पढ़ सकता है?

इसका मुख्य कारण है नींद।

शायद रंजन दास से गलती यही हो गई कि उन्होंने यह मान लिया कि एक इंसान को और उसके दिल को स्वस्थ रहने के लिए महज 4 घंटे की नींद भी काफी होती है।

वह 24 घंटे में सिर्फ 4 घंटे ही सोते थे जो धीरे-धीरे उन्हें दिल की बीमारी की ओर ले गया।

जापान की ऑफिस की नींद-

हम सब जानते हैं कि जापान दुनिया के सबसे प्रसिद्ध और तरक्की करने वाले देशों में से सबसे आगे हैं।

कहते हैं कि वहां के लोग सबसे कम सोते हैं शायद इसका मुख्यतः कारण अधिक काम का होना है।

जापानी लोग अपने काम को लेकर बहुत निष्ठा रखते हैं और अनुशासन में रहते हैं।

लेकिन जापान ने अपने देशवासियों की सेहत को ध्यान में रखते हुए एक नियम बना दिया।

जिसके तहत जापानी लोग ऑफिस में भी सो सकते हैं।

जिसके लिए वह एक शब्द का इस्तेमाल किया जाता है इनेमरी

इनेमरी शब्द का इस्तेमाल उनके लिए किया जाता है जो अपने काम के समय में सोते हैं।

जापान की ऑफिस की नींद
जापान की ऑफिस की नींद

 

कम सोने के नुकसान-

नींद पूरी न करने की वजह से हमारे शरीर में अनेकों बीमारियां हो जाती हैं।

नींद का सीधा संबंध हमारे दिमाग और हमारे दिल के साथ होता है।  अगर हमने पूरी नहीं करते हैं तो हमें दिल से जुड़ी बीमारियां जैसे हार्ट अटैक हार्ट ब्लॉक हो सकता है। इसके साथ-साथ ब्रेन स्ट्रोक ब्रेस्ट कैंसर आने को बीमारियां हो जाती है। अतः एक इंसान को स्वस्थ रहने के लिए और निरंतर काम करने के लिए नींद लेना बहुत जरूरी है। स्टडी के मुताबिक हमारे दिल और दिमाग दोनों को स्वस्थ रखने के लिए 7 से 8 घंटे की नींद आवश्यक है। इसलिए हमारा सुझाव यही है कि अपने काम को प्राथमिकता देकर अपनी सेहत के साथ खिलवाड़ ना करें। क्योंकि हमारे हिंदी में एक बहुत ही अच्छी कहावत है पहला सुख निरोगी काया

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ब्रेन पावर बढ़ाएं: मेडिटेशन के चमत्कार

ब्रेन पावर बढ़ाएं: मेडिटेशन के चमत्कार 
ब्रेन पावर बढ़ाएं: मेडिटेशन के चमत्कार, मनुष्य का मस्तिष्क उसके शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण होता है।
यह हमारे विचारों, भावनाओं, और क्रियाओं का मुख्य केंद्र होता है।
इसलिए, हमें अपने मस्तिष्क की देखभाल करनी चाहिए ताकि हम अपने जीवन को सकारात्मक दिशा में ले सकें।
ध्यान और मेडिटेशन इस ब्रेन पावर  को बढ़ाने के लिए एक अद्वितीय और प्रभावशाली तकनीक हैं।
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ब्रेन पावर बढ़ाएं: मेडिटेशन के चमत्कार,

 

 

 

 

 

 

 

इस विषय पर अध्ययन करने वाले वैज्ञानिक अनुसंधान में बताया है कि ध्यान करने से मस्तिष्क के कई क्षेत्रों में सक्रियता बढ़ती है।
इससे न केवल मानसिक स्थिति में सुधार होता है, बल्कि इससे शारीरिक स्वास्थ्य में भी लाभ होता है।

 

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मेडिटेशन का महत्व: 
प्राथमिक रूप से, मेडिटेशन करने से ब्रेन की सक्रियता बढ़ती है।
ध्यान करने से जिन भागों का मस्तिष्क ज्यादा सक्रिय होता है, वे हमारे विचारों, भावनाओं, और क्रियाओं को नियंत्रित करते हैं।
इससे हम अपने दिनचर्या को बेहतर तरीके से प्रबंधित कर सकते हैं और अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने में सक्षम होते हैं।
इस भाग दौड़ भरी जिंदगी में अगर हम थोड़ा सा समय मेडिटेशन के लिए निकल पाए तो हमारे जीवन में बहुत पॉजिटिव बदलाव आएंगे।
जो हमारे लिए बहुत फायदेमंद है।
वेद पुराणों मैं बताया गया है कि हमारे पहले के साधु संत जो पहाड़ों में निवास करते थे।
उनकी आयु 200 300 वर्ष तक होती थी और इसका मुख्य कारण था मेडिटेशन।
मेडिटेशन करने से हमारी आयु भी पड़ती है।
कुल मिलाकर बात करें तो मेडिटेशन हमें दर्द से लड़ने की शक्ति प्रदान करता है।
हमारे शरीर और हमारे मस्तिष्क को ऊर्जा प्रदान करता है हमारे ज्ञान की एकाग्रता को बढ़ाने में हमारी सहायता करता है।
कुल मिलाकर बात करें तो मेडिटेशन हमें दर्द से लड़ने की शक्ति प्रदान करता है।
शरीर और हमारे मस्तिष्क को ऊर्जा प्रदान करता है।
हमारे ज्ञान की एकाग्रता को बढ़ाने में हमारी सहायता करता है और हमारे अंदर एक पॉजिटिव एनर्जी को भर देता है जिससे हम हमारे उद्देश्यों की और सरलता से बढ़ सकते हैं।
हमारे अंदर एक पॉजिटिव एनर्जी को भर देता है जिससे हम हमारे उद्देश्यों की और सरलता से बढ़ सकते हैं।

 

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