मेथी से प्राप्त होने वाले लाभ और उपयोग,मेथी को इंग्लिश में फेनुग्रीक कहते हैं। मेथी खाने में जितनी कड़वी है,हमारी सेहत के लिए उतनी ही ज्यादा मीठी है।
इसका लगातार प्रयोग हमारे हमारे स्वास्थ्य को बहुत फायदा हो जाता है।
इसका उपयोग मसाले के साथ-साथ विभिन्न प्रकार की औषधि बनाने में भी किया जाता है।
इसमें पोटैशियम प्रोटीन फाइबर विटामिन सी आयरन नियासिन आदि पोषक तत्व पाए जाते हैं।
इसमें डाओस्जेनिन नामक कम्पाउन्ड होता है, जो एस्ट्रोजन सेक्स हार्मोन को बढ़ाने का काम करता है।
मेथी के फायदे:
जैसा कि आप जानते हैं कि मेथी का उपयोग मसाले के रूप में तो किया जाता है साथी दोस्ती के रूप में भी किया जाता है। तो आईए जानते हैं की मेथी से हमें क्या-क्या लाभ मिलते हैं-
बालों को बढ़ाने में सहायक:
मेथी हमारे बालों को बढ़ाने में बहुत अधिक सहायता करती है। यह हमारे बालों की हर समस्या का समाधान है
चाहे फिर वह बालों का टूटना हो, बालों का हल्कापन, नए बालों का ना आना।
आईए जानते हैं कि मेथी के दानों को किस-किस प्रकार से हम बालों के लिए इस्तेमाल कर सकते हैं-
महिलाओं के मानसिक स्वास्थ्य पर एक नजर,डिप्रेशन को हिंदी में अवसाद भी कहते हैं।
डिप्रेशन महिलाओं और पुरुषों दोनों में ही हो सकता है लेकिन महिलाओं में इसकी संभावना ज्यादा होती है।
तनाव एक आम बात है जो किसी भी महिला में हो सकती है लेकिन अगर तनाव अधिक बढ़ जाए तो धीरे-धीरे यह डिप्रेशन बन जाता है।
जो काफी घातक साबित हो सकता है।
इसलिए आवश्यक यह है कि समय पर रहते डिप्रेशन को पहचान कर उसका उचित इलाज किया जाए।
महिलाओं के मानसिक स्वास्थ्य पर एक नजर
डिप्रेशन के कारण:- आईए जानते हैं कि महिलाओं में डिप्रेशन किस किस कारण से होता है-
व्यक्तिगत समस्याएँ:
महिलाओं के कुछ व्यक्तिगत समस्याएं हो सकती हैं जैसे की पारिवारिक समस्या, आत्मसम्मान की कमी, स्वीकृति की कमी जिनकी वजह से वह डिप्रेशन से जूझने लगती हैं।
हार्मोनल परिवर्तन
महिलाओं में हार्मोनल परिवर्तन डिप्रेशन का मुख्य कारण होता है।
महिलाओं के जीवन में कुछ ऐसी परिस्थितियां आती हैं जिसमें वह सबसे नाजुक दौर में होती है
जैसे कि पीरियड्स ,गर्भावस्था के दौरान। महिलाओं में हार्मोनल बदलाव की वजह से उनकी मानसिक स्थिति भी प्रभावित होती है।
उच्च अपेक्षाएँ
समाज में महिलाओं पर अक्सर अधिक दबाव होता है कि वे सब कुछ कर सकें, और इस दबाव के बीच अगर उनकी अपेक्षाएँ पूरी नहीं होती हैं तो उन्हें डिप्रेशन हो सकता है।
डिप्रेशन के लक्षण
आईए जानते हैं की डिप्रेशन को कैसे पहचाना जा सकता है-
नींद की कमी
डिप्रेशन और नींद का बहुत गहरा संबंधहै।अधिक तौर पर देखा गया है कि जिन महिलाओं को डिप्रेशन की समस्या होती है उन्हें अक्सर नींद बहुत ही काम आती है।
डाइट का नियंत्रित होना
इस अवस्था में अक्षर भूख बहुत कम लगती है। अक्सर खाने का कुछ मन नहीं करता।
और कुछ महिलाएं ऐसी होती है जिनको डिप्रेशन में ओवरइटिंग की समस्या होती है यानी कि वह बहुत अधिक खाती हैं।
और दोनों ही स्थिति महिला के स्वास्थ्य के लिए उचित नहीं है।
महिलाओं के मानसिक स्वास्थ्य पर एक नजर
थकान
आज के दौर में महिलाएं पुरुषों के बराबर बाहरी कामकाज भी करती हैं यानी की नौकरी भी करती हैं और घर भी संभालती हैं जिस वजह से उन्हें बहुत अधिक थकावट होती है
जो एक डिप्रेशन का कारण भी है और लक्षण भी। इस अवस्था में महिला बहुत थकान महसूस करते हैं।
आज के दौर में महिलाएं पुरुषों के बराबर बाहरी कामकाज भी करती हैं यानी की नौकरी भी करती हैं
और घर भी संभालती हैं जिस वजह से उन्हें बहुत अधिक थकावट होती है जो एक डिप्रेशन का कारण भी है और लक्षण भी।
क्या अलसी के बीज से होता है कोलेस्ट्रॉल का कम होना?
क्या अलसी के बीज से होता है कोलेस्ट्रॉल का काम होना? तो जवाब है हां।
हमारे शरीर में दो तरह के कोलेस्ट्रॉल होते हैं गुड कोलेस्ट्रॉल और बेड कोलेस्ट्रॉल।
जब बेड कोलेस्ट्रॉल बढ़ने लगता है तब धीरे-धीरे हमारा वजन भी बढ़ने लगता है
और यह इतना घातक हो सकता है कि हमें हार्ट अटैक जैसी बीमारियों का सामना करना पड़ सकता है।
क्या अलसी के बीज से होता है कोलेस्ट्रॉल का कम होना?
कोलेस्ट्रॉल मुख्यतः दो प्रकार का होता है –
LDL (लो डेन्सिटी लिपोप्रोटीन) और HDL (हाई डेन्सिटी लिपोप्रोटीन)। LDL कोलेस्ट्रॉल को ‘बुरा’ कोलेस्ट्रॉल माना जाता है, जबकि HDL कोलेस्ट्रॉल को ‘अच्छा’ कोलेस्ट्रॉल कहा जाता है।
फ्लेक्स सीड्स में ओमेगा 3 पाया जाता है जो गुड कोलेस्ट्रॉल यानी कि एचडीएल को बढ़ाने में सहायक है।
और साथ ही साथ बेड कोलेस्ट्रॉल यानी कि एलडीएल को कंट्रोल करने में हमारी सहायता करता है।
इसके साथ-साथ अलसी के बीजों में एंटीऑक्सीडेंट और फाइबर भी पाया जाता है।
इसके अंदर फाइबर होने की वजह से यह हमारे पाचन तंत्र को मजबूत करता है और भोजन पचाने में हमारी सहायता करता है।
साथी इसमें उपस्थित एंटीऑक्सीडेंट हमारे स्वास्थ्य को बढ़ाने में हमारी सहायता करते हैं और हृदय से जुड़ी समस्याओं को भी काम करता है।
निरोगी जीवन की दिशा: नींबू चाय के लाभ,हमारे देश में हर स्थिति में चाय पीना सबको बहुत पसंद है चाहे वह थकान हो, चाहे गप्पे मारना है, सुबह की शुरुआत करनी हो या फिर थक हार के घर लौटना हो।
हर कोई चाय का शौकिन है। लेकिन डॉक्टर की माने तो की हर बार चाय हमारी सेहत के लिए अच्छी नहीं होती है।
तो चाय की जगह कोई ऐसी चीज नहीं रख सकते जो चाय की भी कमी पूरी करेगा और हमारे स्वास्थ्य के लिए भी सही हो?
जवाब है नींबू की चाय यानी कि लेमन टी।
निरोगी जीवन की दिशा: नींबू चाय के लाभ
नींबू चाय के फायदे:
लेमन टी जितनी पीने में स्वादिष्ट है उसे कहीं ज्यादा हमारे स्वास्थ्य के लिए लाभकारी है।
आईए जानते हैं कि नींबू चाय पीने के क्या-क्या फायदे हैं-
चेहरा चमकायें:
निंबू की चाय स्किन को स्वस्थ रखने में सहायता करती है।
अगर हम लगातार इस चाय का सेवन करते हैं तो यह हमारे एक्ने, झाइयां और पिंपल्स को कम करने में सहायता करती है।
शरीर को दे ऊर्जा:
लेमन टी हमारे शरीर के लिए एक इम्यूनिटी बूस्टर का काम करती है।
इसमें विटामिन सी प्रचुर मात्रा में होता है। जो की एंटीऑक्सीडेंट का काम करता है।
बीटरूट जूस के अनगिनत फायदे,वैज्ञानिक रूप से बीटरूट जूस को बिटा वल्गैरिस कहा जाता है।
हिंदी भाषा में बीटरूट जूस को चुकंदर का जूस कहते हैं।
बीटरूट एक ऐसी सब्जी है जो न केवल रसोई में स्वादिष्टता लाती है, बल्कि इसके सेहत के लाभ भी अनगिनत हैं।
बीटरूट का जूस पीने के लिए भी बहुत सारे लाभ माने जाते हैं।
चुकंदर एक प्राकृतिक सुपर फूड है।
बीटरूट जूस में एंटीऑक्सीडेंट, इलेक्ट्रोलाइट्स और अन्य यौगिक होते हैं। जो हमारे हृदय और मस्तिष्क के लिए भी बहुत लाभकारी हैं।
यह जूस पोटेशियम, विटामिन सी और फोलेट जैसे महत्वपूर्ण खनिजों और विटामिनों से भरपूर होता है जो बॉडी को हेल्दी रखता है।
बीटरूट जूस के अनगिनत फायदे
अमेरिकी कृषि विभाग कृषि अनुसंधान सेवा के डेटाबेस डिस्प्ले के अनुसार, चुकंदर में निम्न पोषक तत्व पाए जाते हैं:
प्रोटीन -1.68 ग्राम प्रति 100 ग्राम,
कार्बोहाइड्रेट -9.96 ग्राम प्रति 100 ग्राम,
वसा -0.18 ग्राम प्रति 100 ग्राम,
अमीनो एसिड -1.216 ग्राम प्रति 100 ग्राम,
फैटी एसिड -0.119 ग्राम प्रति 100 ग्राम,
फाइटोस्टेरॉल -0.025 ग्राम प्रति 100 ग्राम,
खनिज -0.483 ग्राम प्रति 100 ग्राम,
फाइबर -2 ग्राम प्रति 100 ग्राम प्रति 100 ग्राम
विटामिन -4.805 मिलीग्राम प्रति 100 ग्राम
नाइट्रेट -25 मिलीग्राम प्रति 100 ग्राम
बीटालियन -3.976 ग्राम प्रति 100 ग्राम
फेनोलिन -0.1899 ग्राम प्रति 100 ग्राम
बीटाक्सैन्थिन- 1.901 ग्राम प्रति 100 ग्राम
बीटरूट जूस के अनगिनत फायदे
दिल के लिए फायदेमंद:
अगर हम हमारे भोजन में बीटरूट जूस को शामिल कर लेते हैं और लगातार इसका सेवन करते हैं तो यह हमारे कोलेस्ट्रॉल लेवल को काम करता है और दिल को बीमारियों से बचा के रखता है।
वजन को करें कंट्रोल:
इस जूस में लो कैलरी के साथ-साथ हाई फाइबर भी होता है इसकी वजह से जब आप बीटरूट जूस पीते हैं तो काफी समय तक आपका पेट भरा भरा रहता है और भूख कम लगती है जिसकी वजह से आपका वजन कंट्रोल होता है।
पाचन तंत्र को करें मजबूत:
यह जूस हमारे पाचन शक्ति को दुरुस्त करने में भी बहुत मददगार है। यह कब्ज की समस्या को दूर करने में बहुत सहायक है। और हमारे पाचन तंत्र को मजबूत बनाता है जिससे हमारे पाचन शक्ति भी अच्छी होती है।
ऊर्जा और मजबूती:
बीटरूट जूस में मौजूद फाइबर और पोषक तत्व हमारे शरीर को ऊर्जा प्रदान करते हैं और हमें मजबूत बनाते हैं। यह जूस खासकर व्यायाम करने वाले व्यक्तियों के लिए फायदेमंद हो सकता है, क्योंकि यह उनके मांसपेशियों को मजबूत बनाने और उन्हें ऊर्जा प्रदान करने में मदद कर सकता है।
बीटरूट जूस और पोषणबीटरूट जूस विटामिन, मिनरल्स, और एंटीऑक्सीडेंट्स से भरपूर होता है। यह जूस विटामिन ए, विटामिन सी, और फॉलेट जैसे महत्वपूर्ण पोषक तत्वों का अच्छा स्रोत है, जो हमारे शरीर के लिए बहुत जरूरी होते हैं। इन पोषक तत्वों की सही मात्रा मिलने से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होती है और स्वस्थ जीवन जीने में मदद मिलती है।
“हिना खान ब्रेस्ट कैंसर: ब्रेस्ट कैंसर की भ्रांति और सच्चाई”:
हिना खान ब्रेस्ट कैंसर: ब्रेस्ट कैंसर की भ्रांति और सच्चाई,हाल ही में भारतीय टीवी इंडस्ट्री की अभिनेत्री हिना खान को ब्रेस्ट कैंसर हुआ है।
अभिनेत्री की उम्र महज 36 साल है।
इतनी छोटी उम्र में ब्रेस्ट कैंसर जैसी गंभीर बीमारी होना अपने आप में बहुत बड़ी बात है।
लेकिन आज के दौर में ब्रेस्ट कैंसर जैसी बीमारियों के आंकड़े दिन-ब-दिन बढ़ने लगे हैं।
तो आईए जानते हैं की ब्रेस्ट कैंसर जैसी बीमारी बढ़ाने के पीछे क्या कारण है?ब्रेस्ट कैंसर को हिंदी में स्तन कैंसर कहते हैं।
WHO के अनुसार ब्रेस्ट कैंसर महिलाओं में होने वाला सबसे साधारण कैंसर है जो काफी हद तक जानलेवा है।
इसका कारण यह है कि इसके पहले कोई लक्षण नहीं होते हैं जिसकी वजह से इसके पान अपने का पता नहीं चल पाता है।
कोशिकाओं का गठन गाथा यानी की गांठ से बन जाती है तब जाकर इसके होने का अनुभव होता है।
काफी बार तब तक उपचार की स्थिति खत्म हो चुकी होती है और महिला को जान का खतरा होता है।
स्तन कैंसर एक ऐसी स्थिति है जिसमें महिलाओं में स्तन कोशिकाएं विभाजित हो जाती हैं जो बढ़ाने और फैलने लगती है और इन कोशिकाओं का नियंत्रित करना मुश्किल होता है।
साधारण तौर पर दूध उत्पादक कोशिकाओं और नालियों में कैंसर होता है जो ग्रंथियां से निप्पल तक दूध पहुंचते हैं।
WHO:
कई बार फटी स्तन होने के कारण भी कोशिकाओं का गत्था बन जाता है जो कैंसर का रूप ले लेता है।
WHO के आंकड़ों के अनुसार हर साल दुनिया भर में लगभग 2 मिलियन महिलाओं को स्तन कैंसर होता है।
WHO का कहना है की 2018 में 62500 महिलाओं की मौत केवल स्तन कैंसर से हुई थी।
जो कैंसर से होने वाली मौतों का 15% हिस्सा है।
एक रिसर्च के अनुसार जिन महिलाओं में पीरियड्स 12 साल की उम्र से पहले शुरू हो जाते हैं उनमें स्तन कैंसर होने की संभावना अधिक होती है।
हिना खान ब्रेस्ट कैंसर: ब्रेस्ट कैंसर की भ्रांति और सच्चाई
ब्रेस्ट कैंसर के कारण:
अगर ब्रेस्ट कैंसर के कर्म की बात करें तो शराब का सेवन करना, खराब लाइफस्टाइल, अनुचित खान पान, बीड़ी या सिगरेट का सेवन आदि।
क्या आप जानते हैं कि हर 22 महिलाओं में से 1 को ब्रेस्ट कैंसर है।
स्तन कैंसर के लक्षण:
क्या आप जानते हैं कि आप सन कैंसर की पहचान कैसे कर सकती है?
डॉक्टरों का कहना है कि अगर आपके स्तन में कोई गांठ या छोटा मस्सा है जिसके आकार में बदलाव आ रहा है, सूजन रहती है, हल्का सा दबाने पर भी दर्द महसूस हो, त्वचा लाल होने लगे,कई बार निप्पल से खून आने लगता है तो ये ब्रेस्ट कैंसर के लक्षण हो सकते हैं।
स्तन कैंसर से बचने के उपाय:
वैसे तो समय से पहले स्तन कैंसर का पता लगना लगभग नामुमकिन होता है। फिर भी सावधानी रखना हमारे ही स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद होता है।
आईए जानते हैं किशन कैंसर से बचने के लिए हम किन-किन बातों का ध्यान रख सकते हैं:
1. पारिवारिक इतिहास:
आपको यह अवश्य ही मालूम होना चाहिए स्तन कैंसर या अन्य कैंसर से जुड़ा कोई आपका पारिवारिक इतिहास तो नहीं है?
कहीं आपकी मां या आपकी बहन या किसी अन्य परिवार के सदस्य को स्तन कैंसर तो नहीं था?
क्योंकि अगर आपका पारिवारिक इतिहास सन कैंसर से जुड़ा है तो कैंसर होने के चांसेस ज्यादा होते हैं।
इस विषय में आप अपने चिकित्सक से आवश्यक सलाह लें। चिकित्सा का आपको उनसे बचने के उपाय भी अवश्य बताएंगे।
2. उचित आहार:
उचित और पौष्टिक आहार केवल स्तन कैंसर ही नहीं बल्कि हमारे शरीर में किसी भी बीमारी से बचाने में बहुत सहायक होते हैं।
इसलिए हमें हमेशा स्वस्थ पौष्टिक आहार लेना चाहिए। हरी सब्जियों और ताजे फलों का सेवन करना चाहिए।
3. शराब और धूम्रपान से सावधानी:
आज के दौर में महिलाओं में शराब और धूम्रपान का प्रचलन अधिक हो गया है।
धूम्रपान से अलग-अलग 15 तरह के कैंसर होते हैं जिनमें से ब्रेस्ट कैंसर भी एक है।
इसलिए आपके लिए आवश्यक है कि आप शराब और धूम्रपान से दूरी बनाकर रखें।
और अगर आप इनका सेवन गर्भावस्था के दौरान करते हैं
तो इनका असर न केवल आप पर बल्कि आपके होने वाले बच्चे पर भी अवश्य दिखेगा।
4. मैमोग्राम:
मैमोग्राम एक टेस्ट होता है जो स्तन कैंसर का पता लगाने में सहायक होता है।
इसलिए डॉक्टर की माने तो प्रतिवर्ष आपको मैमोग्राम टेस्ट करवाना चाहिए।
यह आपके कैंसर का जल्द पता लगाने में आपकी सहायता करेगा जिसका उपचार समय रहते किया जा सकता है।
और अगर आपकी उम्र 40 वर्षीय से अधिक है तो यह आपके लिए ज्यादा आवश्यक हो जाता है।
हिना खान ब्रेस्ट कैंसर: ब्रेस्ट कैंसर की भ्रांति और सच्चाई
सफेद पानी आना: कारण और बचाव,सफेद पानी आना महिलाओं में होने वाली एक गंभीर बीमारी है।”सफेद पानी आना” यानी कि श्वेत प्रदर को ल्यूकोरिआ या लिकोरिआ भी कहते हैं।
इस बीमारी में योनि से सफेद रंग का घाड़ा पानी जैसा पदार्थ निकलता है। जिससे पूरे समय चिपचिपापन बना रहता है और हल्की दुर्गंध भी आती है।
सफेद पानी आना कारण और बचाव
लिकोरिया दो प्रकार का होता है स्वाभाविक और अस्वभाविक।
स्वाभाविक लिकोरिया एक साधारण समस्या है जिसे ज्यादा उपचार की आवश्यकता नहीं होती है। स्वाभाविक लिकोरिया महिलाओं में पीरियड्स के समय दो दिन पहले या दो दिन बाद रहने वाली एक साधारण समस्या है जिसे अधिक उपचार की आवश्यकता नहीं होती। इसमें केवल उचित आहार और हल्का सा व्यायाम ही काफी होता है।
लेकिन अस्वभाविक लिकोरिया में महिलाओं को अनेक स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं होती हैं जैसे की इंफेक्शन जलन खुजली शारीरिक कमजोरी खून की कमी सुजन आदि। इस समस्या को गंभीरता से लेने की आवश्यकता है और समय पर उपचार की भी।
व्हाइट डिस्चार्ज का कारण:
कई बार लिकोरिया को व्हाइट डिसचार्ज भी कहा जाता है। आईए जानते हैं कि वाइट डिस्चार्ज होने का मुख्य कारण क्या क्या है:
1. यूरिन में इन्फेक्शन
2. कमजोर इम्यूनिटी सिस्टम
3. प्राइवेट पार्ट के अच्छे से सफाई न करना
4. एनीमिया यानी कि खून की कमी
5. अस्वस्थ आहार
6. मानसिक तनाव
7. योनि में ‘ट्रिकोमोन्स वेगिनेल्स’ नामक बैक्टीरिया के कारण ल्यूकोरिया होता है।
8. अति मैथुन
9. गर्भावस्था के दौरान
सफेद पानी आना: कारण और बचाव
स्वास्थ्य पर प्रभाव:
लिकोरिया के हमारे स्वास्थ्य पर बहुत बुरे प्रभाव पड़ते हैं। जैसे कि:
1. शारीरिक कमजोरी
2. बेचैनी
3. चक्कर आना
4. हाथ पैरों में दर्द
5. खूनकी कमी
6. बार-बार यूरिन आना
7. निर्णय क्षमता की कमी
8. पोषण की कमी
9. योनि में सूजन या जलन
उपचार:
सफेद पानी की समस्या में सबसे पहले आवश्यक है कि आप अपने खान-पान को सुधारे और स्वस्थ आहार लें। जो पोषण से भरपूर हो और तली हुई चीजों से दूरी बना लें।
इसके अलावा इस समस्या से निपटने के लिए बहुत से घरेलू उपचार भी हैं।
घरेलू उपाय: भारतीय रसोई में जितने भी मसाले उपलब्ध हैं वह बहुत ही उपयोगी हैं। हर एक मसाला किसी ने किसी समस्या का समाधान है। वैसे ही लिकोरिया के लिए तुलसी और शहद एक रामबाण इलाज लगातार करना होगा।
लेकिन फिर भी अगर आप घरेलू उपाय में विश्वास न रखें तो अपने चिकित्सक से परामर्श अवश्य करें।
बालों के झड़ने का स्वास्थ्य पर प्रभाव,आज के व्यस्त और काम भरे समय में बालों का झड़ना साधारण होता है
लेकिन चिंता की बात तब जब बालों का झड़ना अधिक हो जाए।
अगर आपके बाल एकदम से ज्यादा झड़ने लगे हैं या बढ़ना बंद हो गए हैं चिंता का विषय है
क्योंकि बाल हमारी सुंदरता का प्रतीक तो है ही साथ ही हमारे स्वास्थ्य से जुड़े हैं।
अधिक बालों का झड़ना किसी का भी समस्या की और इशारा कर सकता है।
बालों के झड़ने के अनेक कारण हो सकते हैं:
1. गर्भावस्था के दौरान
2. डिलीवरी के बाद
3. अधिक तनाव के कारण
4. मेडिकल ट्रीटमेंट की वजह से
5. पारिवारिक इतिहास
6. अच्छा खानपान ना करना
7. हेयर ट्रीटमेंट
8. गर्भनिरोधक गोलियां
बालों के झड़ने का स्वास्थ्य पर प्रभाव
स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभाव:
थायराइड:
हार्मोनल बदलाव की वजह से भी बाल झड़ना शुरू हो जाते हैं।
हार्मोन हमारे शरीर के संतुलन बनाए रखने में सभी शारीरिक कार्य करने में सहायक होते हैं।
यह बालों को बढ़ाने में भी सहायता करते हैं।
थायराइड ग्रंथि हमारे बालों को बढ़ाने में सहायक है।
यह सभी पोषक तत्व जैसे मिनरल्स, आयरन, कैल्शियम अवशोषित करके उनके गुण हमारे बालों को पहुंचने में सहायक है।
इसलिए अधिक बालों का झरना थायराइड की समस्या की निशानी हो सकता है।
पोषण की कमी:
एक रिसर्च के अनुसार पता चला है कि बालों के झड़ने के मुख्य वजह मे से एक है पोषण की कमी होना।
उचित आहार न करना और अधिक जंक फूड कैसे बनाएं हमारे बालों के लिए घातक साबित हो सकता है।
गंजेपन की समस्या:
एक रिसर्च के अनुसार पता चला है कि बालों के झड़ने के मुख्य वजह मे से एक है पोषण की कमी होना। उचित आहार न करना और अधिक जंक फूड कैसे हमारे बालों के लिए घातक साबित हो सकता है।
धीरे धीरे इससे गंजेपन की समस्या लग जाती है।
एलोपेशिया एरियाटा:
एलोपेशिया एरियाटा बालों को जोड़ने का एक प्रकार है।इसे ऑटोइम्यून स्थिति माना सकते हैं। इस बीमारी में सिर में गंजे गोलाकार धब्बे होने लग जाता है।यह समस्या भौंहो, दाढ़ी और पलकों में भी हो सकती है।
ल्यूकोरिआ:
ल्यूकोरिआ या लिकोरिया महिला में पाई जाने वाली एक आम रोग है जिसका अर्थ है श्वेत प्रदर यानी कि सफेद पानी का आना।
इससे महिलाओं में आंतरिक कमजोरी के साथ ही बालों का झड़ना भी अधिक हो जाता है।
न्यूरोलॉजिकल प्रभाव:
बालों के झड़ने से व्यक्ति का तनाव और मानसिक चिंताएँ बढ़ सकती हैं।
इसके परिणामस्वरूप, न्यूरोलॉजिकल परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है जैसे कि डिप्रेशन और अधिक चिंता।
बालों के झड़ने का स्वास्थ्य पर प्रभाव
समाधान:
बालों के झड़ने की समस्या आजकल बहुत आम हो गई है, और यह किसी भी उम्र में हो सकती है।
इस समस्या को कम करने के लिए कुछ सरल उपाय हैं जो निम्नलिखित हैं:
स्वस्थ जीवनशैली: नियमित व्यायाम, पर्याप्त नींद और तनाव कम करने का प्रयास करें।
योग और मेडिटेशन भी मानसिक स्वास्थ्य को सुधारने में मदद कर सकते हैं।
सही आहार: अपने आहार में प्रोटीन, विटामिन, मिनरल्स और आयरन को शामिल करें।
ये सभी तत्व बालों के स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण हैं और उन्हें मजबूती प्रदान करते हैं।
नियमित बाल स्वास्थ्य की देखभाल: अधिक शम्पू या केमिकल से बचें।
सही तरीके से बाल धोएं, बालों को बांधने या सूखाने में अत्यधिक कठिनता से बचें।
उपचार सलाह: अगर बालों का झड़ना गंभीर हो रहा है, तो एक विशेषज्ञ चिकित्सक से परामर्श लें।
कई बार यह समस्या अन्य स्वास्थ्य समस्याओं का भी परिणाम हो सकती है जिनका समाधान भी उपलब्ध हो सकता है।